*आसमान*
वह मुरझाते फूल नही
रसोई की चहारदीवारों के अंदर
बैठनेवाले लोग नहीं है वह
अपनी स्वप्न को रंग देना चाहती है
खुद अपनी पाँव में खड़ा होना चाहती है।
काश ज़माने की नजरिया बदली तो
काश उन्हें भी समझ पाती तो
खिड़की के पास सदा
बैठकर आजमान देखनेवाली को
आज़ादी एक स्वपन थी।
लाल रंग भरी इश्क थी
वह उड़ना चाहती थी हमेशा
लेकीन कोई ओर रोक रहा था सदा
या कोई उन्हें खींच रही थी
डूबना उसकी मजबूरी थी।
जब कभी वह मुँह खोलना चाहा,
तो जमाना सदा उन्हें
डुबाने की कोशिश किया।
वह सिर्फ एक लड़की नहीं थी हज़ारों थी।
फिर भी क्या करूँ
उनकी आवाज़ सुननेवाला कोई नहीं थी।
वह हमेशा दौड़ रही थी,
दौड़कर अपनी विभिन्न भूमिका
पूरी कर रही थी।
कभी डॉक्टर, कभी नर्स, या कभी नोकराणी
परिवार के लिए कुछ भी बन जाएगी वह।
काली भारी साडी.. टूटी हुई चूड़ियां...सिंदूर भरी माथे...
क्या वह लाल सिंदूर सिर्फ एक रंग थी
या उनकी आज़ादी कि अंत रेखा था?
तारा बनना चाहती थी लेकिन
ज़िन्दगी बादल को ही सहारा बनाया।
अपनी परछाई देखना चाहती थी वह
लेकिन वह तो सपना बन गया।
चलना चाहती थी
लेकिन अपनी पाँव तो पहले ही बंद थी।
किसी ओर के नीचे ज़िन्दगी दबी है।
मुँह खोलना चाहती थी... आवाज उड़कर भागना चाहती है लेकिन क्या करूँ?
मुँह भी बंध है।
इसलिए तो वह अपने भगवान का सदा शरण लिया।
जो भी हाल हो, वह अपने भगवान का आश्रय लिया।
इसलिए तो ईशवर का मूर्ती
देखना उनकी स्वप्न बन गयी।
जब वह अपनी तमन्ना बोली तो
काली भारी नजरवालों ने उनलोगोंसे
छुपने केलिए कह दिया....
यह बोला कि; लड़कियां अशुद्ध है...
मंदिर के दरवाज़ा उनके लिए बंद है।
क्योंकि वह सिर्फ लड़की है!
कुल स्त्रियां मंतिर नहीं जाती हे
भगवान अपने पति को समझाओं
एक ताजा हवा छू रही है
वह अपनी पाँव आगे रख दिया।
अपनी उदर से जन्म देना अशुद्ध है क्या?
माँ बनना अशुद्ध है क्या?
एक नई हवा छू रही है
अपनी पास... अपनी ओर पडे दृष्टियों को
वह हटा दिया। वह अकेली नही थी।
हजारों थी।
ईश्वर सबका है... वह सिर्फ लड़कों का कैसे होगा?
उनकी आवाज़ ऊंची थी।
आंखों में स्वप्न थी...पाँव आगे ही रखा।
हाँ वह लड़की है..
वह मुरझाते फूल नहीं है कि
किसी के द्वारा खरीदे जाऊं या बेच डालूँ।
रूप देखकर मुरझाना भी मत।
क्योंकि वह भी जीना चाहती है
कमरे में बंद होने के लिये नहीं है वो।
नयन में स्वप्न भरकर आज़माना को छूना चाहती है..
हाँ... हवा बह रही है..
हाँ... बदलाव कि हवा..
खिड़की अब घुल रही है...
शायद आज़माना भी पास है।
-भावना बालन